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क्या आप जानते हैं 200 साल पुराना कंडोम किसका है? Rijksmuseum में हुआ अनोखा प्रदर्शन!

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Rijksmuseum में अनोखा प्रदर्शन

200 साल पुराना कंडोम नीलामी (सोशल मीडिया)

200 साल पुराना कंडोम नीलामी (सोशल मीडिया)

Rijksmuseum में प्रदर्शनी: नीदरलैंड्स के प्रसिद्ध Rijksmuseum में इस सप्ताह एक अनोखा और दिलचस्प प्रदर्शन शुरू हो रहा है, जिसमें 200 साल पुराना एक दुर्लभ कंडोम प्रदर्शित किया गया है। इसे 19वीं सदी का 'लक्जरी सूवेनियर' माना जाता है। यह पहली बार है जब किसी कंडोम को इस तरह के बड़े संग्रहालय की कला संग्रह में शामिल किया गया है।


1830 के दशक का कंडोम 1830 दशक का कंडोम

यह कंडोम लगभग 1830 के दशक का है और इसे भेड़ के अपेंडिक्स से बनाया गया माना जा रहा है। इतिहासकारों का मानना है कि यह फ्रांस के किसी वेश्यालय से आया होगा, संभवतः पेरिस से। इस कंडोम पर एक विशेष नक्काशी है, जिसमें एक आधी नंगी नन तीन पुरोहितों के लिंग की ओर इशारा कर रही है। कंडोम पर लिखा है 'Voila, mon choix', जिसका अर्थ है 'देखो, यही मेरी पसंद है।'


कंडोम की नीलामी 84,000 रुपये में खरीदा गया

इस कंडोम को पिछले साल नवंबर में हार्लेम में एक नीलामी में लगभग 84,000 रुपये में खरीदा गया था। अब इसे Rijksmuseum में एक ग्लास केस में प्रदर्शित किया गया है। यह कंडोम एक छोटे प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण है, जिसमें डच और फ्रांसीसी कला के प्रिंट और ड्राइंग शामिल हैं, जो यौन स्वास्थ्य के विषयों को दर्शाते हैं।


कंडोम का इतिहास

कंडोम के इतिहास पर नजर डालें तो, 1839 में वल्कनाइज्ड रबर की खोज से पहले कंडोम लिनेन, जानवरों की झिल्लियों या कछुए की खोल से बनाए जाते थे। ये कंडोम रोमांस से होने वाली बीमारियों से पूरी सुरक्षा नहीं देते थे और गर्भधारण रोकने में भी प्रभावी नहीं थे। ज़लन ने बताया कि 1830 के दशक में कंडोम का उपयोग बहुत सीमित और सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं था। इन्हें ज्यादातर ब्रॉथल या नाई की दुकान पर छुपकर बेचा जाता था। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में लक्जरी दुकानों का भी जिक्र है, जो खास माप के कंडोम बनवाते थे।


नक्काशी की विशेषता आकर्षक नक्काशी

इस कंडोम पर बनी नक्काशी इतनी आकर्षक है कि यह उसे इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को खास महसूस कराती थी। इसकी लंबाई लगभग 20 सेंटीमीटर है। जेलन ने कहा कि उन्होंने इसे अल्ट्रावायलेट लाइट से देखा और ऐसा लगता है कि इसे शायद इस्तेमाल नहीं किया गया था। मजेदार बात यह है कि नन जो इस कंडोम पर बनी है, वह तीन पुरोहितों में से किसके ऊपर इशारा कर रही है, यह स्पष्ट नहीं है। इससे हर प्रकार का आदमी खुद को उस नक्काशी में शामिल महसूस कर सकता था।


प्रदर्शनी का महत्व

यह प्रदर्शनी न केवल एक ऐतिहासिक वस्तु को दर्शाती है, बल्कि उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को भी समझने में मदद करती है, जब कंडोम का इस्तेमाल शर्म के कारण छुपाया जाता था। आज के आधुनिक युग में जब सुरक्षित रोमांस पर जोर दिया जाता है, तब ऐसे ऐतिहासिक उदाहरण यह याद दिलाते हैं कि मानव समाज ने यौन सुरक्षा और जागरूकता के क्षेत्र में कितनी लंबी यात्रा तय की है।


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